फ़िल्म - मोहरा (1994)
गीतकार - आनंद बख़्शी
संगीतकार - विजू शाह
स्वर - पंकज उधास, साधना सरगम
ना कजरे की धार ना मोतियों के हार ना कोई किया सिंगार
फिर भी कितनी सुंदर हो तुम कितनी सुंदर हो
ना कजरे की धार ना मोतियों के हार ना कोई किया सिंगार
फिर भी कितनी सुंदर हो तुम कितनी सुंदर हो
मन में प्यार भरा और तन में प्यार भरा जीवन में प्यार भरा
तुम तो मेरे प्रियवर हो तुम्हीं तो मेरे प्रियवर हो
सिंगार तेरा यौवन, यौवन ही तेरा गहना - 2
तू ताज़गी फूलों की क्या सादगी का कहना
उड़े खुशबू जब चले तू - 2 बोले तो बजे सितार
ना कजरे की धार ना मोतियों के हार ना कोई किया सिंगार
फिर भी कितनी सुंदर हो तुम कितनी सुंदर हो
सारी दुनिया हरजाई तेरे प्यार में है सच्चाई - 2
इसलिए छोड़ के दुनिया तेरी ओरे खिंची चली आयी
थी पत्थर तूने छू कर - 2 सोना कर दिया ख़रा
मन में प्यार भरा और तन में प्यार भरा जीवन में प्यार भरा
तुम तो मेरे प्रियवर हो तुम्हीं तो मेरे प्रियवर होतेरा अंग सच्चा सोना मुस्कान सच्चे मोती - 2
तेरे होंठ हैं मधुशाला तू रूप की है ज्योति
तेरी सूरत जैसे मूरत - 2 मैं देखूं बार बार
ना कजरे की धार ना मोतियों के हार ना कोई किया सिंगार
फिर भी कितनी सुंदर हो तुम कितनी सुंदर हो
मन में प्यार भरा और तन में प्यार भरा जीवन में प्यार भरा
तुम तो मेरे प्रियवर हो तुम्हीं तो मेरे प्रियवर हो
ये गाना तो मास्टरपीस है, वो दिन याद आते है जब गाने में सुर हुआ करते थे 😔, और गाना के लिरिक्स में कुछ मतलब हुआ करता था।
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