Saturday, 22 May 2021

Waqt Ka Ye Parindaa Ruka Hai Kahan lyrics in Hindi - वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ

वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ
मैं था पागल जो इसको बुलाता रहा
चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गाँव मेरा मुझे याद आता रहा

लौटता था मैं जब पाठशाला से घर
अपने हाथों से खाना खिलाती थी माँ
रात में अपनी ममता के आँचल तले
थपकियाँ दे के मुझको सुलाती थी माँ
सोच के दिल में एक टीस उठती रही
रात भर दर्द मुझको जगाता रहा
चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गाँव मेरा मुझे याद आता रहा

सबकी आँखों में आँसू छलक आए थे
जब रवाना हुआ था शहर के लिए
कुछ ने माँगी दुआएँ कि मैं खुश रहूं
कुछ ने मंदिर में जाकर जलाए दिए
एक दिन मैं बनूंगा बड़ा आदमी
ये तसव्वुर उन्हें गुदगुदाता रहा
चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गाँव मेरा मुझे याद आता रहा

माँ ये लिखती है हर बार खत में मुझे
लौट आ मेरे बेटे तुझे है क़सम
तू गया जबसे परदेस बेचैन हूँ
नींद आती नहीं भूख लगती है कम
कितना चाहा ना रोऊँ मगर क्या करूँ
खत मेरी माँ का मुझको रुलाता रहा
चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गाँव मेरा मुझे याद आता रहा

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