Saturday, 23 February 2019

Jo Padhte Rahe Hum Kitab-e-Mohabbat Lyrics in Hindi

                 जो पढ़ते रहे हम किताब-ए-मोहब्बत


जो पढ़ते रहे हम क़िताब-ए-मोहब्बत 
नहीं पा सके हम जवाब-ए-मोहब्बत 

चले आओ रंज़िश को दिल में छुपा कर
अभी भूल जाओ हिसाब-ए-मोहब्बत

मेरी बात मानो जरा तुम भी पी लो 
है अमृत सा पानी शराब-ए-मोहब्बत

मिलो इस तरह जैसे गंगा में जमुना  
कहीं दूर रख दो हिज़ाब-ए-मोहब्बत

ना घबराओ ग़ुमनाम दिल अपना खोलो 
चुका दो सभी के हिसाब-ए-मोहब्बत

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