फिल्म - गुमराह (1963)
गीतकार - साहिर लुधियानवी
संगीतकार - रवि
स्वर - महेंद्र कपूर
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूं दिलनवाज़ी की
न तुम मेरी तरफ देखो गलत अंदाज़ नज़रों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाए मेरी बातों में
न ज़ाहिर हो तुम्हारी कशमकश का राज़ नज़रों से
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों -2
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते हैं कि ये जलवे पराए हैं
मेरे हमराह भी रुसवाईयां हैं मेरे माज़ी की
तुम्हारे साथ भी गुजरी हुई रातों के साए हैं
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों -2
तआरुफ़ रोग हो जाए तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन
उसे इक खुबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों -3
न ज़ाहिर हो तुम्हारी कशमकश का राज़ नज़रों से
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों -2
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते हैं कि ये जलवे पराए हैं
मेरे हमराह भी रुसवाईयां हैं मेरे माज़ी की
तुम्हारे साथ भी गुजरी हुई रातों के साए हैं
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों -2
तआरुफ़ रोग हो जाए तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन
उसे इक खुबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों -3