रफ्ता रफ्ता वो मेरे
रफ़्ता रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामां हो गये
पहले जां, फिर जानेजां, फिर जानेजाना हो गये
पहले जां, फिर जानेजां, फिर जानेजाना हो गये
रफ़्ता रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामां हो गये
दिन-ब-दिन बढती गईं इस हुस्न की रानाइयां
पहले गुल, फिर गुल-बदन, फिर गुल-बदामां हो गए
रफ़्ता रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामां हो गये
दिन-ब-दिन बढती गईं इस हुस्न की रानाइयां
पहले गुल, फिर गुल-बदन, फिर गुल-बदामां हो गए
रफ़्ता रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामां हो गये
आप तो नज़दीक से नज़दीक-तर आते गए
पहले दिल, फिर दिलरुबा, फिर दिल के मेहमां हो गए
रफ़्ता रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामां हो गये
प्यार जब हद से बढ़ा सारे तकल्लुफ मिट गए
आप से, फिर तुम हुए, फिर तू का उनवाँ हो गए
रफ़्ता रफ़्ता वो मेरी हस्ती का सामां हो गये
~ तस्लीम फ़ाज़ली