फ़िल्म - फागुन(1958)
गीतकार - क़मर जलालाबादी
संगीतकार - ओ. पी. नैय्यर
स्वर - मो. रफ़ी, लता मंगेशकर
कौन परदेशी तेरा दिल ले गया मोटी मोटी अँखियों में आंसू दे गया - 2
मेरे परदेशियों की यही है निशानी अँखियाँ बिल्लौर की शीशे की जवानी
ठंडी ठंडी आंहों का सलाम दे गया जाते जाते मीठा मीठा गम दे गया
कौन परदेशी तेरा दिल ले गया मोटी मोटी अँखियों में आंसू दे गया
ढूंढ रहे तुझे लाखों दिलवाले कर दे ओ गोरी जरा आँखों से उजाले
आँखों का उजाला परदेशी ले गया जाते मीठा मीठा गम दे गया
कौन परदेशी तेरा दिल ले गया मोटी मोटी अँखियों में आंसू दे गया
उसको बुला दूँ सामने ला दूँ क्या मुझे दोगी जो तुमसे मिला दूँ
जो भी मेरे पास था वो सब ले गया जाते मीठा मीठा गम दे गया
कौन परदेशी तेरा दिल ले गया मोटी मोटी अँखियों में आंसू दे गया
एक परदेशी मेरा दिल ले गया जाते जाते मीठा मीठा गम दे गया