फ़िल्म - चितचोर
गीतकार - रविंद्र जैन
संगीतकार - रविंद्र जैन
स्वर - यीशुदास
गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा मैं तो गया मारा आ के यहां रे
उस पर रूप तेरा सादा चंद्रमा ज्यूं आधा आधा जवां रे
गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा मैं तो गया मारा आ के यहां रे आ के यहां रे
जी करता है मोर के पांव में पायलिया पहना दूं
कुह-कुह गाती कोयलिया को फूलों का गहना दूं
यहीं घर अपना बनाने को पंछी करे देखो तिनके जमा रे तिनके जमा रे
गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा मैं तो गया मारा आ के यहां रे आ के यहां रे
रंग बिरंगे फूल खिले हैं लोग भी फूलों जैसे
आ जाए एक बार यहां जो जाएगा फिर कैसे
झर-झर झरते हुए झरने मन को लगे हरने ऐसा कहां रे ऐसा कहां रे
उस पर रूप तेरा सादा चंद्रमा ज्यूं आधा आधा जवां रे आधा जवां रे
परदेशी अंजान को ऐसे कोई नहीं अपनाता
तुम लोगों से जुड़ गया जैसे जनम जनम का नाता
अपनी धुन में मगन डोले लोग यहां बोलें दिल की जबां रे दिल की जबां रे
गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा मैं तो गया मारा आ के यहां रे
उस पर रूप तेरा सादा चंद्रमा ज्यूं आधा आधा जवां रे