फ़िल्म - संगम (1964)
गीतकार - शैलेन्द्र
संगीतकार - शंकर-जयकिशन
स्वर - मुकेश
दोस्त दोस्त ना रहा, प्यार प्यार ना रहा
ज़िंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा, ऐतबार ना रहा
दोस्त दोस्त ना रहा, प्यार प्यार ना रहा
ज़िंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा, ऐतबार ना रहा
अमानतें मैं प्यार की गया था जिसको सौंप कर
वो मेरे दोस्त तुम ही थे तुम्हीं तो थे
जो ज़िंदगी की राह मे बने थे मेरे हमसफ़र
वो मेरे दोस्त तुम ही थे तुम्हीं तो थे
सारे भेद खुल गए राज़दार ना रहा
ज़िंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा, ऐतबार ना रहा
गले लगी सहम सहम, भरे गले से बोलती
वो तुम ना थी तो कौन था, तुम्ही तो थी
सफ़र के वक़्त में पलक पे मोतियों को तौलती
वो तुम ना थी तो कौन था तुम्हीं तो थी
नशे की रात ढल गयी अब खुमार ना रहा
ज़िंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा, ऐतबार ना रहा
वफ़ा का नाम ले के जो, धड़क रहे थे हर घडी
वो मेरे नेक नेक दिल तुम्ही तो हो
जो मुस्कुराते रह गए ज़हर की जब सुई गड़ी
वो मेरे नेक नेक दिल तुम्ही तो हो
अब किसी का मेरे दिल, इंतज़ार ना रहा
ज़िंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा, ऐतबार ना रहा
दोस्त दोस्त ना रहा, प्यार प्यार ना रहा
ज़िंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा, ऐतबार ना रहा