ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं
फिल्म - इज़्ज़त (1968 )
गीतकार - साहिर लुधियानवी
संगीतकार - लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल
स्वर - मो. रफ़ी , लता मंगेशकर
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें -2
तसव्वुर मे कोइ बसता नही, हम क्या करें
तुम्हीं कह दो अब ऐ जान-ए-वफ़ा, हम क्या करें
लुटे दिल मे दिया जलता नही, हम क्या करें
तुम्हीं कह दो अब ऐ जान-ए-अदा, हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें
किसी के दिल मे बस के दिल को तड़पाना नहीं अच्छा
निगाहो को झलक दे दे के छुप जाना नहीं अच्छा
उम्मीदो के खिले गुलशन को झुलसाना नहीं अच्छा
हमे तुम बिन कोइ जँचता नही, हम क्या करें
निगाहो को झलक दे दे के छुप जाना नहीं अच्छा
उम्मीदो के खिले गुलशन को झुलसाना नहीं अच्छा
हमे तुम बिन कोइ जँचता नही, हम क्या करें
तुम्हीं कह दो अब ऐ जान-ए-वफ़ा, हम क्या करें
लुटे दिल मे दिया जलता नही, हम क्या करें
मोहब्बत कर तो लें लेकिन मोहब्बत रास आये भी -2
दिलो को बोझ लगते है कभी जुल्फों के साए भी
दिलो को बोझ लगते है कभी जुल्फों के साए भी
हज़ारों गम है इस दुनिया मे अपने भी पराये भी
मोहब्बत ही का गम तन्हा नहीं, हम क्या करें
मोहब्बत ही का गम तन्हा नहीं, हम क्या करें
तुम्हीं कह दो अब ऐ जान-ए-अदा, हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें
बुझा दो आग दिल की या इसे खुलकर हवा दे दो -2
जो इस का मोल दे पाए, उसे अपनी वफ़ा दे दो
तुम्हारे दिल मे क्या है बस हमें इतना पता दे दो
जो इस का मोल दे पाए, उसे अपनी वफ़ा दे दो
तुम्हारे दिल मे क्या है बस हमें इतना पता दे दो
कि अब तन्हा सफ़र कटता नही, हम क्या करें
लुटे दिल मे दिया जलता नही, हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें
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