फ़िल्म - सरस्वतीचंद्र (1968)
गीतकार - इंदीवर
संगीतकार - कल्याणजी-आनंदजी
स्वर - लता मंगेशकर
कहाँ चला ऐ मेरे जोगी जीवन से तू भाग के
किसी एक दिल के कारण यूँ सारी दुनिया त्याग के
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी जरूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं ज़िन्दगी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या
मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं - 2
खुशबू आती रहे दूर ही से सही
सामने हो चमन कोई कम तो नहीं
चाँद मिलता नहीं सबको संसार में - 2
है दीया ही बहुत रौशनी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
इतनी हसरत से तकती है कलियाँ तुम्हे
क्यों बहारों को फिर से बुलाते नहीं - 2
एक दुनिया उजड़ ही गयी है तो क्या
दूसरा तुम जहाँ क्यों बसाते नहीं - 2
दिल न चाहे भी तो साथ संसार के - 2
चलना पड़ता है सब की ख़ुशी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी जरूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं ज़िन्दगी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए