Saturday 22 May 2021

Chura Ke Dil Mera Goriya Chali lyrics in Hindi - चुरा के दिल मेरा

फिल्म - मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी (1994)

गीतकार - रानी मलिक 

संगीतकार - अनु मलिक 

स्वर - अलका याग्निक, कुमार सानू 

 

चुरा के दिल मेरा गोरिया चली - 2
उड़ा के निंदिया कहाँ तू चली
पागल हुआ दीवाना हुआ - 2
कैसी ये दिल की लगी 
चुरा के दिल तेरा चली मैं चली
मुझे क्या पता कहाँ मैं चली
मंज़िल मेरी बस तू ही तू - 2
तेरी गली मैं चली
चुरा के दिल मेरा गोरिया चली
चुरा के दिल तेरा चली मैं चली

अभी तो लगे हैं चाहतों के मेले
अभी दिल मेरा धड़कनों से खेले
किसी मोड़ पर मैं तुमको पुकारूं
बहाना कोई बना तो ना लोगे
अगर मैं बता दूं मेरे दिल में क्या है
तुम मुझसे निगाहें चुरा तो ना लोगे
अगर बढ़ गई है बेताबियां
कहीं मुझसे दामन छुड़ा तो ना लोगे
कहता है दिल धड़कते हुए
तुम सनम हमारे हम तुम्हारे हुए
मंज़िल मेरी बस तू ही तू - 2
तेरी गली मैं चली
चुरा के दिल मेरा गोरिया चली
चुरा के दिल तेरा चली मैं चली
 
नही बेवफ़ा तुम ये मुझको खबर है
बदलती रुतों से मगर मुझको डर है
नई हसरतों की नई सेज पर तुम
नया फूल कोई सजा तो ना लोगे
वफ़ाएं तो मुझसे बहुत तुमने की है
मगर इस जहां में हसीं और भी हैं
कसम मेरी खा कर इतना बता दो
किसी और से दिल लगा तो ना लोगे
धीरे-धीरे चोरी-चोरी चुपके-चुपके आके मिल
टूट ना जाये प्यार भरा ये दिल
मंज़िल मेरी बस तू ही तू - 2
तेरी गली मैं चली
चुरा के दिल मेरा गोरिया चली

Waqt Ka Ye Parindaa Ruka Hai Kahan lyrics in Hindi - वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ

वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ
मैं था पागल जो इसको बुलाता रहा
चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गाँव मेरा मुझे याद आता रहा

लौटता था मैं जब पाठशाला से घर
अपने हाथों से खाना खिलाती थी माँ
रात में अपनी ममता के आँचल तले
थपकियाँ दे के मुझको सुलाती थी माँ
सोच के दिल में एक टीस उठती रही
रात भर दर्द मुझको जगाता रहा
चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गाँव मेरा मुझे याद आता रहा

सबकी आँखों में आँसू छलक आए थे
जब रवाना हुआ था शहर के लिए
कुछ ने माँगी दुआएँ कि मैं खुश रहूं
कुछ ने मंदिर में जाकर जलाए दिए
एक दिन मैं बनूंगा बड़ा आदमी
ये तसव्वुर उन्हें गुदगुदाता रहा
चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गाँव मेरा मुझे याद आता रहा

माँ ये लिखती है हर बार खत में मुझे
लौट आ मेरे बेटे तुझे है क़सम
तू गया जबसे परदेस बेचैन हूँ
नींद आती नहीं भूख लगती है कम
कितना चाहा ना रोऊँ मगर क्या करूँ
खत मेरी माँ का मुझको रुलाता रहा
चार पैसे कमाने मैं आया शहर
गाँव मेरा मुझे याद आता रहा