फ़िल्म - क़र्ज़: द बर्डेन ऑफ़ ट्रुथ (2002)
गीतकार - समीर
संगीतकार - संजीव-दर्शन
स्वर - उदित नारायण, अलका याग्निक, कुमार सानू
शाम भी खूब है पास महबूब है - 2
ज़िन्दगी के लिए और क्या चाहिए
शाम भी खूब है पास महबूब है
आशिकी के लिए और क्या चाहिए
शाम भी खूब है पास महबूब है
क्या हसीं है समां धड़कने हैं जवां - 2
ज़िन्दगी के लिए और क्या चाहिए
शाम भी खूब है पास महबूब है
आशिकी के लिए और क्या चाहिए
शाम भी खूब है पास महबूब है
क्या हसीं है समां धड़कने हैं जवां - 2
दोस्ती के लिए और क्या चाहिए
शाम भी खूब है पास महबूब है
शाम भी खूब है पास महबूब है
चाँद की चांदनी आसमां की परी
शायरों के लिए तू है एक शायरी
हाँ देखते ही तुझे दिल दीवाना हुआ
चाहतों का शुरू एक फ़साना हुआ
रंग है नूर है चैन है ख्वाब है - 2
अब ख़ुशी के लिए और क्या चाहिए
शाम भी खूब है पास महबूब है
हुस्न है प्यार है दिल है दिलदार है - 2
बोलती है नज़र चुप है मेरी जुबां
हर किसी से जुदा है मेरी दास्तां
ना किसी से कभी प्यार मैंने किया
दर्द-ए-दिल ना कभी यार मैंने लिया
अब ख़ुशी के लिए और क्या चाहिए
शाम भी खूब है पास महबूब है
हुस्न है प्यार है दिल है दिलदार है - 2
बोलती है नज़र चुप है मेरी जुबां
हर किसी से जुदा है मेरी दास्तां
ना किसी से कभी प्यार मैंने किया
दर्द-ए-दिल ना कभी यार मैंने लिया
साज है गीत है सुर है संगीत है - 2
मौसिक़ी के लिए और क्या चाहिए
शाम भी खूब है पास महबूब है
ज़िन्दगी के लिए और क्या चाहिए
शाम भी खूब है पास महबूब है
आशिकी के लिए और क्या चाहिए
शाम भी खूब है पास महबूब है
ज़िन्दगी के लिए और क्या चाहिए
शाम भी खूब है पास महबूब है
आशिकी के लिए और क्या चाहिए