Saturday 18 November 2017

Jane Kyun Log Muhabbat Kiya Karte Hain lyrics in Hindi

                       जाने क्यूँ लोग मोहब्बत करते हैं 

फिल्म - मेहबूब की मेहंदी (1971)

गीतकार - आनंद बख़्शी 

संगीतकार - लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल 

स्वर - लता मंगेशकर



इस ज़माने में, इस मोहब्बत ने
कितने दिल तोड़े, कितने घर फूँके
जाने क्यों लोग मोहब्बत किया करते है-2
दिल के बदले दर्द-ए-दिल लिया करते हैं
जाने क्यों लोग मोहब्बत किया करते हैं

तन्हाई मिलती है, महफ़िल नहीं मिलती
राह-ए-मोहब्बत में कभी मंज़िल नही मिलती
दिल टूट जाता है, नाकाम होता है
उल्फ़त में लोगों का यही अंजाम होता है
कोई क्या जाने, क्यों ये परवाने
यूं मचलते है, ग़म में जलतेहैं 
आहें भर-भर के दीवाने जिया करते हैं-2 
जाने क्यों लोग मोहब्बत किया करते हैं

सावन मे आँखो को, कितना रूलाती है
फ़ुर्क़त में जब दिल को किसी की याद आती है
ये ज़िन्दगी यूं ही बर्बाद होती है
हर वक़्त होठों पे कोई फ़रियाद होती है
ना दवाओं का नाम चलता है
ना दुआओं से काम चलता है
ज़हर ये फिर भी सभी क्यों पिया करते हैं-2
जाने क्यों लोग मोहब्बत किया करते हैं

महबूब से हर ग़म मनसूब होता है
दिन - रात उल्फ़त में तमाशा खूब होता है
रातों से भी लंबे ये प्यार के किस्से
आशिक़ सुनाते हैं जफ़ा-ए-यार के किस्से
बेमुरव्वत है, बेवफा है वो
उस सितमगर का, अपने दिलबर का
नाम ले लेके दुहाई दिया करते हैं-2
जाने क्यों लोग मोहब्बत किया करते हैं 

Thursday 16 November 2017

Lo Aa Gayi Unki Yaad lyrics in Hindi

                    लो आ गयी उनकी याद वो नहीं आये

फिल्म - दो बदन (1966)

गीतकार - शकील बदायूनीं 

संगीतकार - रवि 

स्वर - लता मंगेशकर 


लो आ गयी उनकी याद, वो नहीं आये -2 

दिल उनको ढूँढता है, ग़म का सिंगार कर के
आँखें भी थक गयी हैं, अब इंतज़ार कर के-2
इक आस रह गयी है, वो भी न टूट जाये
लो आ गयी उनकी याद, वो नहीं आये

रोती हैं आज हम पर,तन्हाईयाँ हमारी-2
वो भी न पाएं शायद, परछाइयाँ हमारी
बढ़ते ही जा रहे हैं, मायूसियों के साये
लो आ गयी उनकी याद वो नहीं आये

लौ थरथरा रही है, अब शम्म-ए-ज़िन्दगी  की
उजड़ी हुई मुहब्बत, मेहमां है दो घड़ी की
मर कर ही अब मिलेंगे, जी कर तो मिल न पाये
लो आ गयी उनकी याद वो नहीं आये
लो आ गयी उनकी याद वो नहीं आये

Wednesday 15 November 2017

Gairon Pe Karam Apno Pe Sitam lyrics in Hindi

                      गैरों पे करम अपनों पे सितम

फिल्म - आँखें (1968)

गीतकार - साहिर लुधियानवी

संगीतकार - रवि

स्वर - लता मंगेशकर


गैरों पे करम, अपनों पे सितम
ऐ जान-ए-वफ़ा, ये ज़ुल्म न कर
गैरों पे करम, अपनों पे सितम
ऐ जान-ए-वफ़ा, ये ज़ुल्म न कर
गैरों पे करम, अपनों पे सितम
ऐ जान-ए-वफ़ा, ये ज़ुल्म न कर
गैरों पे करम, अपनों पे सितम

हम चाहने वाले हैं तेरे, यूं हमको जलाना ठीक नहीं
महफ़िल में तमाशा बन जाएँ, इस दर्जा सताना ठीक नहीं
इस दर्जा सताना ठीक नहीं
मर जायेंगे हम, मिट जायेंगे हम
ऐ जान-ए-वफ़ा ये ज़ुल्म न कर 
गैरों पे करम, अपनों पे सितम
ऐ जान-ए-वफ़ा ये ज़ुल्म न कर 
ये ज़ुल्म न कर

गैरों के थिरकते शानें पर, ये हाथ गंवारा कैसे करें-2
हर बात गंवारा है लेकिन, ये बात गंवारा कैसे करें
ये बात गंवारा कैसे करें
तुझको तेरी बेदर्दी की कसम
ऐ जान-ए-वफ़ा ये ज़ुल्म न कर 
गैरों पे करम, अपनों पे सितम
ऐ जान-ए-वफ़ा ये ज़ुल्म न कर 
ये ज़ुल्म न कर

हम भी थे तेरे मंज़ूर-ए-नज़र, जी चाहे तो अब इकरार ना कर
सौ तीर चला सीने पे मगर, बेगानों से मिलकर वार न कर
बेगानों से मिलकर वार न कर
बेमौत कहीं मर जाएं न हम
ऐ जान-ए-वफ़ा ये ज़ुल्म न कर 
गैरों पे करम, अपनों पे सितम
ऐ जान-ए-वफ़ा ये ज़ुल्म न कर 
ये ज़ुल्म न कर
रहने दे अभी थोड़ा सा भरम
ऐ जान-ए-वफ़ा, ये ज़ुल्म न कर
ये ज़ुल्म न कर

 




Tuesday 14 November 2017

Ye Dil Tum Bin Kahin Lagta Nahi lyrics in Hindi

                          ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं

फिल्म - इज़्ज़त (1968 )

गीतकार - साहिर लुधियानवी

संगीतकार - लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल

स्वर - मो. रफ़ी , लता मंगेशकर 

ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें -2 
तसव्वुर मे कोइ बसता नही, हम क्या करें 
तुम्हीं कह दो अब ऐ जान-ए-वफ़ा, हम क्या  करें

लुटे दिल मे दिया जलता नही, हम क्या करें
तुम्हीं कह दो अब ऐ जान-ए-अदा, हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें 

किसी के दिल मे बस के दिल को तड़पाना नहीं अच्छा
निगाहो को झलक दे दे के छुप जाना नहीं अच्छा
उम्मीदो के खिले गुलशन को झुलसाना नहीं अच्छा
हमे तुम बिन कोइ जँचता नही, हम क्या करें 
तुम्हीं कह दो अब ऐ जान-ए-वफ़ा, हम क्या  करें
लुटे दिल मे दिया जलता नही, हम क्या करें

मोहब्बत कर तो लें लेकिन मोहब्बत रास आये भी -2
दिलो को बोझ लगते है कभी जुल्फों के साए भी
हज़ारों गम है इस दुनिया मे अपने भी पराये भी
मोहब्बत ही का गम तन्हा नहीं, हम क्या करें 
तुम्हीं कह दो अब ऐ जान-ए-अदा, हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें
बुझा दो आग दिल की या इसे खुलकर हवा दे दो -2
जो इस का मोल दे पाए, उसे अपनी वफ़ा दे दो
तुम्हारे दिल मे क्या है बस हमें इतना पता दे दो
कि अब तन्हा सफ़र कटता नही, हम क्या करें
लुटे दिल मे दिया जलता नही, हम क्या करें
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें


Monday 13 November 2017

Mujhe Teri Mohabbat ka Sahara Mil Gaya Hota lyrics in hindi

                  मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता

फिल्म - आप आये बहार आयी (1971 )

गीतकार - आनंद बख्शी 

संगीतकार - लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल 

स्वर - मो. रफ़ी , लता मंगेशकर 


दिल शाद था के फूल खिलेंगे बहार में
मारा गया ग़रीब इसी ऐतबर में

मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता -2
अगर तूफ़ाँ नहीं आता किनारा मिल गया होता

मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता
अगर तूफ़ाँ नहीं आता किनारा मिल गया होता
मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता

न था मंज़ूर क़िस्मत को, न थी मर्ज़ी बहारों की
नहीं तो इस गुलिस्ताँ में-2  कमी थी क्या नज़ारों की
मेरी नज़रों को भी कोई नज़ारा मिल गया होता
अगर तूफ़ाँ नहीं आता किनारा मिल गया होता
मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता 

ख़ुशी से अपनी आँखों को मैं अश्क़ों से भिगो लेता
मेरे बदले तू हँस लेती-2 तेरे बदले मैं रो लेता
मुझे ऐ काश तेरा दर्द सारा मिल गया होता
अगर तूफ़ाँ नहीं आता किनारा मिल गया होता
मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता

मिली है चाँदनी जिनको ये उनकी अपनी क़िस्मत है
मुझे अपने मुक़द्दर से-2 फ़क़त इतनी शिकायत है
मुझे टूटा हुआ कोई सितारा मिल गया होता
अगर तूफ़ाँ नहीं आता किनारा मिल गया होता
मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता

Sunday 12 November 2017

Lyrics of Tum Agar Saath Dene Ka Vaada Karo

                   तुम अगर साथ देने का वादा करो 

फिल्म - हमराज (1967 )

गीतकार - साहिर लुधियानवी 

संगीतकार - रवि 

स्वर - महेंद्र कपूर 

 

तुम अगर साथ देने का वादा करो, मैं यूँ ही मस्त नगमे लुटाता रहूँ। 
तुम मुझे देख कर मुस्कुराती रहो,  मैं तुम्हे देख कर गीत गाता रहूँ। 
तुम अगर साथ देने का वादा करो, मैं यूँ ही मस्त नगमे लुटाता रहूँ।

कितने जलवे फ़िज़ाओं में बिखरे मगर, मैंने अब तक किसी को पुकारा नहीं 
तुमको देखा तो नज़रें ये कहने लगी, हमको चेहरे से हटना गवारा नहीं 
तुम अगर मेरी नज़रों के आगे रहो, मैं हरेक शय से नज़रे चुराता रहूँ 
तुम अगर साथ देने का वादा करो, मैं यूँ ही मस्त नगमे लुटाता रहूँ।

मैंने ख्वाबों में बरसों तराशा जिसे, तुम वही संग-ए-मरमर की तस्वीर हो 
तुम ना समझो तुम्हारा मुकद्दर हूँ मैं, मैं समझता हूँ तुम मेरी तकदीर हो 
तुम अगर मुझको अपना समझने लगो, मैं बहारों की महफिल सजाता रहूँ 
तुम अगर साथ देने का वादा करो, मैं यूँ ही मस्त नगमे लुटाता रहूँ।

मैं अकेला बहुत देर चलता रहा,  अब सफर ज़िंदगानी का कटता नहीं 
जब तलक कोई रंगीं सहारा ना हो, वक़्त काफिर जवानी का कटता नहीं 
तुम अगर हमकदम बन के चलती रहो, मैं जमीं पर सितारे बिछाता रहूँ 
तुम अगर साथ देने का वादा करो, मैं यूँ ही मस्त नगमे लुटाता रहूँ।
तुम मुझे देख कर मुस्कुराती रहो,  मैं तुम्हे देख कर गीत गाता रहूँ। 





 

 


Saturday 11 November 2017

Lyrics of Aapki Nazaron Ne Samjha Pyaar Ke Kaabil Mujhe

                                  आपकी नज़रों ने समझा



फिल्म - अनपढ़ ( 1962 )

गीतकार - राजा मेहंदी अली खान

संगीतकार - मदन मोहन

स्वर - लता मंगेशकर

आपकी नज़रों ने समझा प्यार के काबिल मुझे
दिल की ऐ धड़कन ठहर जा मिल गई मंजिल मुझे
आपकी नज़रों ने समझा।।।

जी हमें मंजूर है आपका ये फैसला -2
कह रही है हर नज़र बंदा-परवर शुक्रिया
हंस के अपनी ज़िन्दगी में कर लिया शामिल मुझे
दिल की ऐ धड़कन ठहर जा मिल गई मंजिल मुझे
आपकी नज़रों ने समझा।।।

आपकी मंजिल हूँ मैं मेरी मंजिल आप हैं -2 
क्यों मैं तूफ़ां से डरूँ मेरा साहिल आप हैं
कोई तुफानो से कह दे मिल गया साहिल मुझे
दिल की ऐ धड़कन ठहर जा मिल गई मंजिल मुझे
आपकी नज़रों ने समझा।।।

पड़ गयी दिल पर मेरे आप की परछाइयां -2 
हर तरफ बजने लगी सैकड़ों शहनाइयां
दो जहाँ की आज खुशियां हो गयी हासिल मुझे
आपकी नज़रों ने समझा प्यार के काबिल मुझे
दिल की ऐ धड़कन ठहर जा मिल गई मंजिल मुझे
आपकी नज़रों ने समझा।।।


Lyrics of Ham Tere Sheher Me Aayen Hain Musafir Ki Taraah

                     हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह


हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह-2
सिर्फ एक बार मुलाकात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह-2

मेरी मंजिल है कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ-2
सुबह तक तुझसे बिछड़ कर मुझे जाना है कहाँ
सोचने के लिए इक रात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह-2

अपनी आँखों में छुपा रखे हैं जुगनू मैंने-2
अपनी पलकों पे सजा रखे हैं आंसू मैंने
मेरी आँखों को भी बरसात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह-2

आज की रात मेरा दर्द-ए-मुहब्बत सुन ले-2
कँपकँपाते हुए होठों की शिकायत सुन ले
आज इज़हार-ए-ख़यालात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह-2

भूलना था तो इक़रार किया ही क्यों था-2
बेवफा तूने मुझे प्यार किया ही क्यों था
सिर्फ दो - चार सवालात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह-2
सिर्फ एक बार मुलाकात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह-3